
1. मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है।
2. हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।
इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।
3. मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी।
मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था।
लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी।
4. मैं जनजातीय समाज से हूँ, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।
5. ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।
6. राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।
7. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।
8. मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं।
9. मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें।
10. मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।